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कन्टाप !
Hindi Poetry |
कन्टाप !
-अंकल जी नमस्ते !
-क्या बात है पप्पू !
बड़े बुझे-बुझे से लग रहे हो !
-कुछ नहीं अंकल जी,
कल रात मैं घर से भाग गया था .
-क्या बात हो गयी थी ?
-कुछ नहीं बस,
पापा से हो गयी थी .
-ऐसा नहीं करते बेटा,
माँ –बाप अपने बच्चों का,
हमेशा भला ही सोचते हैं .
-सोचने वाली बात नहीं है अंकल,
बहुत डांटा उन्होंने मुझे,
बहुत समझा रहे थे,
बहुत गुस्सा पिया मैंने,
पापा हैं, तभी तो मैं भाग गया,
कोई और होता तो,
पक्का खाता मेरे हाथ से,
कन्टाप !
अपना कान खुजलाते हुए,
अंकल जी,
चुपके से खिसक लिये ।
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
Sundar
aajkal kii banatii huii yaa banii hauii halat kaa pointer
pappu ka kantaap gazab hai padta hai jannate se
kaan goonj jate duniya ke jag jaati sannate se.