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क्यों मयूरा सबके सम्मुख रो रहा
Hindi Poetry |
क्यों मयूरा सबके सम्मुख रो रहा
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अब हकीकत आ गयी है सामने,
जब खुली लोई सभी के सामने .
दाग बदनामी का फ़िर तोहफ़ा दिया,
हम से जुड़ कर इस तुम्हारे नाम ने .
क्यों खिलौना बीच रस्ते में रुका,
कम भरीं फ़िर चाभियाँ क्या राम ने .
क्यों मयूरा सबके सम्मुख रो रहा,
दिख चुके क्या पैर सबके सामने .
अपने कर्मों से कभी वह मर चुका,
बन खडा हैं प्रेत सबके सामने .
खोखले वादों का झोला फ़ट गया,
उफ़ ,फ़ज़ीहत कर दई इस झाम ने .
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
he mayura pair ve hi naachte,
baat kahne ki kala ye khoob hai
ped chhaya sirf sar ko de saken
paanv ko thandak to deti doob hai.
बहुत खूब
बहुत ही बढियाँ, हरीशजी..! 🙂
बहुत खूब, अलग सी, गहन और अर्थपूर्ण प्रशंसनीय रचना
हर छंद बहुत मन भाये
हार्दिक बधाई
खैरियत समझो की अबतक खैर है
नंगे होते जायेंगे सब सामने ….!