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***तड़पते अफ़साने …***

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Hindi Poetry

 

आशिकों के भी अजब ठिकाने हुआ करते हैं 

हसीं पलकों में इनके  आशियाने हुआ करते हैं

 

दिल टूटता है तो ये कभी उफ़  नहीं करते

गम छुपाने को फकत पैमाने हुआ करते हैं  

 

ज़ख़्म खाते हैं फिर  भी उसी दर पे जाते हैं  

यूँ इनके दुश्मन तो ज़माने हुआ करते हैं

 

जलते हैं रोज  जिस शमा की मुहब्बत् में

शब होते ही ये उसके परवाने हुआ करते हैं

 

प्यार क्या करते है ये बेगुनाह  गुनाह करते है

तासीर-ऐ-मुहब्बत् से ये अंजान हुआ करते हैं

 

करके सुपुर्द-ऐ-खाक ये खामोश हो जात्ते हैं

इनकी तुरबत पे  तड़पते अफ़साने हुआ करते हैं

 

सुशील सरना

 

6 Comments

  1. pankaj jha says:

    जनाबेआला , यह तो भड़कते अफसाने लग रहे है . अल्फाज़ में थोड़ी सी रूहानियत की चासनी डालिए, मास्सहल्लाह दर्द-ए-दिल का मज़ा आ जायेगा.

    • sushil sarna says:

      @pankaj jha,
      आपकी इस प्रतिक्रिया और सुझाव का शुक्रिया झा साहिब – ज्यादा चासनी सहेत के लिए अच्छी नहीं – स्वाद को स्वाद ही रहेने दीजिये – आनंद आएगा

  2. siddha Nath Singh says:

    bahut khoob kya andaze bayaan hai.

    • sushil sarna says:

      @siddha Nath Singh,
      इस मधुर मुस्कान में लिपटी आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार सिंह साहिब

  3. siddha Nath Singh says:

    bahut khoob.

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