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फ़ातेहा दिल पर हम उसके दर पर पढ़ आये शकील…..

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ये क्या के जब भी चलूँ साथ मेरे ये सराब आये
कभी जगती कहकशां कभी भटकता महताब आये

(सराब – रेगिस्तान)

इस क़दर मानुस हुई हैं शहर की सुनसान गलियाँ
करूँ सलाम तो कोने कोने से विरानो के जवाब आये

(मानुस – परिचित)

हर्फ़ हर्फ़ जिसका लख्त लख्त जाना है जिसे मैंने अब तक
मुमकिन है जलती वर्क वर्क मुझ तक वो किताब आये

(वर्क वर्क – पन्ना पन्ना)

नशा वो चाहिए के सुरूर के साथ उतरे मौजे ज़िन्दगी
देखना साक़ी शिफा-ए-ज़ीस्त से भीगी हुई शराब आये

(शिफा-ए-ज़ीस्त – जिंदगियों का इलाज)

क़फ़स के सलाखों से छनकर आती है सदा-ए-अन्दिली
मेरी बला से ए दोस्त अब कभी तेरे चमन पर शबाब आये

(सदा-ए-अन्दिली- बुलबुल की आवाज़)

मूंह पर रख दामन-ए-रिश्ता रो पड़े हैं मरासिम कल
दिल कहता है फटे ज़मीं और आज ही आजाब आये

(मरासिम-गुज़रे हुए खुशनुमा दिन)

फ़ातेहा दिल पर हम उसके दर पर पढ़ आये शकील
किया दफ़न अरमानो को शायद ज़िन्दगी में इंक़लाब आये

3 Comments

  1. siddha nath singh says:

    bahut khoob.

  2. chandan says:

    नशा वो चाहिए के सुरूर के साथ उतरे मौजे ज़िन्दगी
    देखना साक़ी शिफा-ए-ज़ीस्त से भीगी हुई शराब आये
    बहुत खूब

  3. Pooja says:

    beautiful…. par aap keh rahe the..ki aap choti panktiyaan likhne wale hai… I m waiting for that…

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