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हमारा घर
Hindi Poetry |
मेरी यह कविता मैनें 13 जून 2011 को अखिल भारतीय हिंदी सेवी संस्थान इलाहबाद द्वारा इलाहबाद में आयोजित राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में सुनाई है .ऊपर के दो चित्रों में एक में मैं कविता सुना रहा हूँ और दूसरे में अखिल भारतीय हिंदी सेवी संस्थान इलाहबाद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा० राजकुमार शर्मा मुझे सम्मानित कर रहे हैं ……..
– सर्वेश खिंची
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कविता : हमारा घर
प्यरा घर -न्यारा घर
सबसे अच्छा हमारा घर
पाँच कमरे साफ सुथरे
धूप आँगन में उतरे
आँगन में खिले गुलाब हमारे
महक से महके सारा घर
प्यरा घर -न्यारा घर
सबसे अच्छा हमारा घर
बैठक में मेहमान बैठते
अतिथि नहीं भगवान बैठते
रसोई में पकवान पकते
महक से महके सारा घर
प्यरा घर -न्यारा घर
सबसे अच्छा हमारा घर
एक कमरा पढ़ने का
पढकर आगे बढ़ने का
साथ में कमरा सोने का
सपनों से महके सारा घर
प्यरा घर -न्यारा घर
सबसे अच्छा हमारा घर
सर्वेश रख साफ सफाई
बैठ जहाँ तूँ करे पढ़ाई
विद्या की देवी सरस्वती
पूजा से महके सारा घर
प्यरा घर -न्यारा घर
सबसे अच्छा हमारा घर
-सर्वेश खिंची
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बहुत अच्छे,
हार्दिक बधाई
कविता बहुत मन भायी
धन्यवाद सर ! इलाहाबाद वाले कार्यक्रम में मेरे पापा ने अपना शोध पत्र पढने और कवि सम्मलेन में कविता पाठ से पहले आपका ज़िक्र करते हुए सबको बताया है कि जब विश्वनंद जी इतनी उम्र में निरंतर लिख रहे हैं और एक हजार से अधिक कविताएँ p4poetry पर दे चुके हैं ,तो हमें भी उनसे प्रेरणा लेकर निरंतर लिखते रहना चाहिए .
-सर्वेश खिंची