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खुशियाँ और गम
Hindi Poetry |
ऐ खुदा अब क्या मांगू तुझसे
अब क्या आशा रक्खू तुझसे
अब क्या खाक फ़रियाद करूँ तुझसे
कुछ ना मांगने लायक छोड़ा तुने मुझे
एक दिन कहा था
गर याद हो तुझे
दे-दे सबके गम
दूसरों की खुशियों के बदले मुझे
तुने मुझे गम तो दिए
पर दूसरों को खुशियाँ मुहीम ना हुई
और अब ,
उस मोड़ पर लाकर खड़ा किया है जिन्दगी के,
की हमें दूसरों के गम में
अपनी खुशियाँ नजर आती है |
vaah vaah, kya teekha andaze bayaan, bahut hi dhardar rachna.
@s.n.singh, धन्यवाद सर |दरअसल ये चारों मेरी शुरूआती कवितायेँ है जो मैंने आज से ११ साल पहले लिखी थी,इन्हें इस मंच पर शेयर करते हुए मैं थोडा हिचक रही थी|आपका बहुत शुक्रिया |
अति सुन्दर अंदाज़ -ए- बयाँ
लगता है सोये खुदा का जरूर टूटेगा सपना ….
रचना के लिए अभिवादन
@Vishvnand, गर ना टुटा तो लोग खुदा हो जायेंगें ,
तब वो खुद अपनी फ़रियाद किसे सुनायेंगे?
शायद फिर उन्हें याद हमारी आ जाये ,
दोनों मिलकर तब हाले-दिल गुनगुनायेंगे |
शुक्रिया सर.