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चंदा मामा
Hindi Poetry |
सूरज दादा जब छिप जाते
चंदा मामा झट से आते
साथ में तारों को संग लाते
रोज नया एक रूप दिखाते
कभी तनकर खड़े हो जाते
कभी रूठकर गायब हो जाते
लुका -छिप्पी का करते खेल
जब होता बादलों से मेल ||