« ***सिसकियों से भर देता है…………*** | तनहा ही वो होते हैं दुनिया जो चलाते हैं » |
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ
Hindi Poetry |
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ
जागा है फिर से दर्द दिल में आज,
तुमसे बात करने के बाद,
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ.
हम चाहते हैं सिर्फ तुम्हीं को,
तेरे ही ख्यालों में रहते हैं,
हम तुम बिन जी नहीं सकते हैं,
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ.
तेरी आंखों में है कुछ ऐसा नशा ,
हम दिन रात नशे में रहते हैं,
हम तेरे लिए ही जीते हैं,
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ.
तेरी अदाओं में है कशिश ऐसी,
हम तेरी ओर खींचे चले आते हैं,
हम तुम पर जान अपनी वारते हैं,
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ.
जसपाल कौर 29/6/11 12:45pm
तेरी अदाओं में है कशिश ऐसी,
हम तेरी ओर खींचे चले आते हैं,
हम तुम पर जान अपनी वारते हैं,
तुम कहते हो रुक जाओ संभल जाओ.
आपने पंक्तिया ही ऐसी लिख दी
मन करता है बस पढ़ते जाओ पढ़ते जाओ
बहुत अच्छी लगी
@dil se dil tak,
thank you very much for liking the poem very much.
good one-keep it up
@sushil sarna, thanks