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धोखा तकदीर का

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Hindi Poetry, Jul 2011 Contest

धोखा तकदीर का

मैं तेरी चाह नहीं,
इसमें तेरा कोई कसूर नहीं.

दिया है धोखा मेरी तकदीर ने मुझे,
मैं तुझसे नाराज़ नहीं.

मेरी आँखों में है तस्वीर तेरी,
तू मेरा कोई नहीं.

दिल की धड़कन बन गए हो तुम,
तू मेरा कुछ भी नहीं.

मेरी साँसों का अरमान हो तुम,
मेरे जीवन का इक राज़ हो तुम.

मैं तुम को मंज़ूर नहीं,
मैं तेरी जुस्तजू नहीं.

तेरी यादों की इक खान हूँ मैं,
अपने जीवन से अनजान हूँ मैं.

मेरे दिल का नगीना हो तुम,
मेरे सपनों को जगमाते हो तुम.

लाई थी मैं नय्या , तुझे साहिल समझके,
डूब गई वो नय्या , दीपक के ही बुझते.
Jaspal Kaur   20/7/11   2:00 am

2 Comments

  1. Hi
    liked the last couplet very much . good composition on the betrayal by fate .
    sarala.

  2. jaspal kaur says:

    thanks saralaji

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