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धोखा

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Hindi Poetry, Jul 2011 Contest
      धोखा 

हमने आपसे दोस्ती की

सिर्फ दोस्ती

पर आपकी दोस्ती

दोस्ती न थी सिवाय

एक खूबसूरत धोखे के

हमने इस धोखे को

बड़ी खूबसूरती से झेला

फिर भी अफ़सोस ….

अपनी दोस्ती न बचा सके

संतोष भाऊवाला

 

4 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    रचना लिखते समय अत्यधिक भावुक होना साफ़ झलक रहा है भाऊवाला जी !

  2. santosh bhauwala says:

    जी ,कविता का मर्म समझने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

  3. Vishvnand says:

    रचना भावनिक मनभायी
    अंतिम पंक्ति कुछ अलग हो ऐसा लगा …

    “फिर भी अफ़सोस ….
    बचा न सके इस दोस्ती के रिश्ते ” या ऐसा कुछ.

  4. santosh bhauwala says:

    आदरणीय विश्वनंद जी रचना मन भायी, आभारी हूँ
    “बचा न सके इस दोस्ती के रिश्ते ”
    अगर आपको ये सही लग रहा हैतो edit करके ठीक कर दूंगी आगे भी आपका मार्गदर्शन मिलता रहे तो कृतज्ञ रहूंगी बहुत बहुत शुक्रिया

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