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धोखा
Hindi Poetry, Jul 2011 Contest |
धोखा
हमने आपसे दोस्ती की
सिर्फ दोस्ती
पर आपकी दोस्ती
दोस्ती न थी सिवाय
एक खूबसूरत धोखे के
हमने इस धोखे को
बड़ी खूबसूरती से झेला
फिर भी अफ़सोस ….
अपनी दोस्ती न बचा सके
संतोष भाऊवाला
रचना लिखते समय अत्यधिक भावुक होना साफ़ झलक रहा है भाऊवाला जी !
जी ,कविता का मर्म समझने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
रचना भावनिक मनभायी
अंतिम पंक्ति कुछ अलग हो ऐसा लगा …
“फिर भी अफ़सोस ….
बचा न सके इस दोस्ती के रिश्ते ” या ऐसा कुछ.
आदरणीय विश्वनंद जी रचना मन भायी, आभारी हूँ
“बचा न सके इस दोस्ती के रिश्ते ”
अगर आपको ये सही लग रहा हैतो edit करके ठीक कर दूंगी आगे भी आपका मार्गदर्शन मिलता रहे तो कृतज्ञ रहूंगी बहुत बहुत शुक्रिया