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विदा
Hindi Poetry |
अच्छा ,
अब लेते है विदा ये कहकर
पता नहीं ,
फिर कब मिल पायेंगें
भूलेंगे ये गलियां ,बिसरायेंगे ये यादें
पर तुम्हे ना भूल पाएंगे,
हमेशा होगी सुबह से शाम
हमेशा ही निकलेगा चाँद
हमेशा तारे टीम-टिमायेंगे,
यूँही आएगी हर बार बहारें
यूँही खिलेगी कलियाँ
यूँही फूल मुस्कुराएंगे ,
ऐसे ही हर बार आएगी बारिश
ऐसे ही गाएगी कोयल
ऐसे ही भवरें गुनगुनायेंगे ,
ऐसे ही होगी हर बार दोस्तों की महफ़िलें ,
पलकें मत उठाना ,हम नजर नहीं आयेंगे…….
antim pankti ka chamtkar kavita ko kahan se kahan le gaya.