विश्वास
जीवन में जो चाहोगे वो पाओगे
क्यों डरते हो की हार जाओगे,
अपने सपनो को साकार कर दिखाना है
अपनों की आशाओं को सच बनाना है ,
विश्वास है
चाँद-तारे भी तोड़ लाओगे
फिर क्यों ………………
जीवन तो संघर्षों का सार है
इसमें कभी जीत तो कभी हार है
सच मानो
डूबते हुए भी तैर जाओगे
फिर क्यों ………
जीवन कुछ पलों का इन्तजार है
जिसमें खुशियों भरा संसार है
तुम एक दिन
उन्हें जरुर ढूंढ़ लाओगे
फिर क्यों ………
हम पर अपने ही सपनों का भार है
नहीं अपनों के सपनों से कोई सरोकार है
भरोसा करके तो देखो
एक दिन जरुर
दोनों को एक पाओगे ,
फिर क्यों डरते हो की हार जाओगे |
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ashavadita ko sangya deti hui rachna.
आगे बढनेकी प्रेरणा देती ये कविता अति उतम !!
nice contents & well said..! But need to be arranged properly the stanzas…! 🙂 Keep it up..