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सुकूँ का अपने कहीं तो कोई सुराग मिले

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Hindi Poetry
सुकूँ का अपने कहीं तो कोई सुराग मिले
तेरा करम हो तो गम से ज़रा फराग मिले.    फराग- मुक्ति
 
हकीक़तें जो समझ लीजे शानो शोहरत की,
न आसमान पे फिर आप का दिमाग मिले.
 
जो ख्वाब में भी विसाल उनसे हो कभी जाए, विसाल-मिलन
तो दिन तमाम तबीयत ये बाग़ बाग़ मिले.
 
कुछ इस तरह से बसे ज़िन्दगी में मेरी तुम,
कि जैसे फूल में निक़हत मिले, पराग मिले.
 
बचा बचा के हुए बज़्म में तेरी हाज़िर,
खुदाया तुझको ये दामन न दाग दाग मिले. 

2 Comments

  1. mani says:

    बहुत अच्छी क्रति है आपकी

  2. Harish Chandra Lohumi says:

    ग़ज़ल ये आपकी कुछ इस कदर दिल को भायी,
    हज़ारों ख़्वाब, रंग, जख्म, सुर ,आलाप मिले.

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