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उठा के आये हैं तलवार तीरगी वाले. (तीरगीवाले-अन्धेरेवाले)
Hindi Poetry |
उठा के आये हैं तलवार तीरगी वाले. तीरगीवाले-अन्धेरेवाले
न हार जाएँ कहीं उनसे रौशनी वाले.
मैं मुद्दतों से इसी इंतज़ार में मसरूफ, मसरूफ-मग्न
पलट के आयंगे शायद वो दिन खुशी वाले.
वो मौत बाँट रहे हैं नए तरीकों से,
जिन्हें ज़माना समझता था ज़िन्दगी वाले.
गया वकारे सुख़न सब क़सीदागोई में, सुख़न-साहित्य,क़सीदागोई-प्रशंसागीत लिखना,vaqaar-pratishtha
हुनर हुए हैं पशेमान शायरी वाले, पशेमान-लज्जित
तमाम जाम हुए सर्फ़ अव्वलीं सफ़ में सर्फ़-खर्च,अव्वलीं सफ़-पहली पंक्ति
करें भी सब्र कहाँ तक ये आखिरी वाले.
गलत ज़रूर है मीजान आप का वरना, मीजान-कसौटी
गलत निकलते नहीं लोग सब सही वाले.
तवाफ इतने गली के तेरी किये हमने, तवाफ-चक्कर
भले से जान गए सब हमें गली वाले.
कि नाच नाच के बेहाल हो गयी मीरा,
कि अब तो सुन ले सदा उसकी बांसुरीवाले.
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