तेरी कमी माँ खलती है
चुपके से मन मेरा रोता , आत्मा जलती है //
सुख के सब साधन है लेकिन,तेरी कमी माँ खलती है //
सर से मेरे माँ तेरे ,
आँचल की छाया हट गई /
ऐसा क्या अपराध हुआ माँ ,
मुझसे तू रूठ गई /
अब कहा स्नेह है वो ममता अब ना मिलती है //
सुख के सब साधन है लेकिन,तेरी कमी माँ खलती है //
चोट मुझको लगती थी तो ,
दर्द तुझको होता था /
कितनी तू होती दुखी ,
दिल तेरा भी तो रोता था /
याद तेरी आती है ,कोई माँ जो सर सहलाती है //
सुख के सब साधन है लेकिन,तेरी कमी माँ खलती है //
अब कोई ना चाह मन में ,
बस तुझे पाना चाहूँ /
कोख से तेरी फिर ,
मै तो जनम लेना चाहूँ /
बस यही एक यही आरजू , मन को मेरे बहलाती है //
सुख के सब साधन है लेकिन,तेरी कमी माँ खलती है //
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समस्त साहित्य प्रेमियों को नमन ,
सबसे पहले में श्री राजेन्द्र शर्माजी ”विवेक ”को साधुवाद देता हूँ जिन्होंने इस मंच के बारे में बताया /
साथ ही प्रीतिजी दातार का बहुत बहुत आभारी हूँ जिन्होंने इस मंच से जोड़ने में सहयोग दिया /
मित्रो मेरी यह प्रथम रचना है …….
में बहुत बड़ा साहित्यकार नही हूँ ……में अपने बारे में इतना ही कह सकता हूँ की
आप साहित्य के हो सागर ,में गागर की बूंद भला /
क्या इठलाऊ चाल पे अपनी कोआ हंस की चाल चला //
में अदना शब्दों का जोगी , बस भावो में बह जाता हूँ / /
मन को जो भी छु जाता है ,कविता में बस कह जाता हूँ /
आह घुटन को दिल में दबा कर बस उलहना देता हूँ /
आहत होता है जब भी मन ,बस बहलाना चाहता हूँ /
सफल हुआ मेरा ये सफ़र ,आप का जो साथ मिला /
आप साहित्य के हो सागर ,में गागर की बूंद भला /
सुस्वागतम
@s.n.singh,
Thank’s Singhji
@s.n.singh,
Thank’s Singh sahb
सुन्दर रचना
मन भायी
हार्दिक बधाई
आपका p4poetry पर स्वागत और आपसे और रचनाओं की उम्मीद . और आपका सहभाग भी अन्य मेम्बर्स की रचनाएँ पढ़ उन्हें Rate करने और comment देने .
@Vishvnand,
Narayan Singhji,
Very touching poem.
Best wishes,
Kusum
@Vishvnand,
धन्यवाद विश्व्नान्दजी ,आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा इसी आशा के साथ ………..