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दर्द-ए-इश्क की तुने कही हमने की दवा बहुत…..
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आरज़ू ने किसी की किया हमे रुसवा बहुत
मुस्कुराये तो हम मगर हमे दर्द हुआ बहुत
हारने को एक सांस भी अपनी अब ना रही
ज़िन्दगी को लगाकर दाव खेला जुआ बहुत
मिलाकर ज़हर कोई जाम में पिलादे ए तबीब (तबीब- इलाज करने वाला)
दर्द-ए-इश्क की तुने कही हमने की दवा बहुत
ख्वाबों में भी मिला वो ख्यालों की तरह
बाद मुद्दतों भी है वो मुझसे खफा बहुत
सजदे भी अब बाटने लगेंगे ये ज़माने वाले
मस्जिदें बनाकर बने है यहाँ खुदा बहुत
नज़र आता नहीं वो सितारा फलक पर इनदिनों
जो दिया करता था कल तक मुझे दुआ बहुत
ज़ख्मों की नुमाइश में दिल का हुआ क्या हाल शकील
मुस्कुराये तो हम मगर हमे दर्द हुआ बहुत
bahut khoob,dard ka izhaar dardeela bahut
bahut khUb