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दिव्यप्रेम
Hindi Poetry |
दिव्य प्रेम राधा कृष्ण का
व्यक्त्हीन शब्दहीन ,
फिर भी ..
अभिव्यक्त करना चाहा
शब्दो में ढालना चाहा
रही कोशिशे नाकाम यहाँ
प्रेम में निमग्न है राधा महां
देहलीन,भाव्लीन ,रसलीन
सतत प्रेम समाधी में लीन
है राधा सम्पूर्ण समर्पिता
प्रेम उडान भावनाओं की
जो उड़ नहीं सकता
हो नहीं सकता इस
विज्ञानं का विद्यार्थी
फिर मिले कैसे थाह उस सागर की
उतरा न गया हो जिसमे,डर कर कभी
संतोष भाऊवाला