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नई आज़ादी !!!!!!!!
Hindi Poetry |
आज जो है कल हो न हो ,
हर लम्हा खुशनमा या ग़मगीन हो न हो
पर हर पल ये डर सताएगा ,
की कब कौन भ्रष्टाचारी हमें खा जायेगा
आज आखें ना खोली तो हमेशा के लिए अँधेरा छा जायेगा
आज साथ हो ना कुछ बोले तो इंसां हमेशा के लिए चुप रह जायेगा
उठो चलो आगे बड़ो हाथो मैं मशाल लिए
नए भारत की ओर नई दिशा की छोर
साथ लिए अन्ना का शोर,दिल मैं लिए नई आज़ादी की भोर …….
बहुत खूब सुन्दर और प्रभावी
रचना और भाव के लिए हार्दिक बधाई
bade sunder vichar,shayad ab iske baad aap ko likhne ka avsar n rahe kyonki aap to kalam kee bajaay mashal liye honge apne hath me.