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राम नाम सत्य है
Hindi Poetry |
राम नाम सत्य है
विचित्र शब्द वाण से, शूल से कृपाण से,
हैं तुच्छ तुच्छ बुत बने,मनुज खड़े मसाण से ।
ये कौन सा विचार है, प्रहार पर प्रहार है,
ये ज्ञान दीप के तले, अजीब अन्धकार है ।
ये कौन सा मुहूर्त है, नाच रहा धूर्त है,
वो विद्वता विलुप्त सी, रहा मटक सा मूर्ख है ।
गुमान पर गुमान है, ये कौन सा प्रयाण है,
है कंठ में फँसा हुआ, सदाचरण का प्राण है ।
ये क्या हुआ है हादसा, सना सा मन्च रक्त से,
ये कौन आज भिड़ पड़ा , शारदा के भक्त से ।
मान मिल गुमान से, कर रहा कुकृत्य है,
वो शर्म औ लिहाज का, राम नाम सत्य है ।
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
असत्य में भी आज तो राम नाम सत्य है
भावनाओं की भरी रचना ये उत्कृष्ट है
समझना आसान है पर ये जो समझते नहीं
हर जगह यहाँ वहाँ भिन्न भिन्न लोग हैं ….
इस सुन्दर रचना और भावार्थ के लिए हार्दिक धन्यवाद और अभिवादन
मनुज खड़े मसाण से – का क्या मतलब है समझायेंगे.
@s n singh, एक प्रेत, जो स्वभाव से खामोश, रंग में काला,कद में बहुत लंबा और अंगारों जैसी अपलक आँखों वाला होता है.
वाह लोहुमी भाई इस कविता की जितनी तारीफ़ करूँ कम रहेगी बधाई कबूल करें
बहुत दिनों बाद आपकी उत्कृष्ट कविता पढने को मिली
अति सुन्दर हरीश जी
शब्दवाली बहुत ही प्रभावशाली है
कुछ बहुत ही उम्दा पंक्तियाँ याद आती हैं आपकी रचना पढ़कर
हिमाद्री तुंग-श्रंग से प्रबुद्ध-शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्वला, स्वंत्रता पुकारती