« ज़िन्दगी कौन से मोड़ पर आ गयी! | Life Vs Death » |
लो वो हो गए किसी और पुजारी के खुदा…..
Uncategorized |
धडकनों की धुन पर ग़ज़ल गुनगुनाते रहे
जब कभी ख्यालों में वो आते रहे जाते रहे
यूं तो वक़्त के तूफ़ान में घिरी अपनी भी वफ़ा
फर्क ये हम शमा जलाते और वो बुझाते रहे
आशिकी का भरम वक़्त-ए-क़त्ल भी रहने दिया
वो तीर पर तीर चलते रहे हम मुस्कुराते रहे
शायद वो लौट आये अपने वादे पर कभी
ये सोचकर पलकों पर नींदों को बहलाते रहे
जब भी याद मरहूम दिल की आई है हम
सितारों से तेरी एक तस्वीर बनाते रहे
दो क़दम चलकर वो रुके हम भी लौटे हैं
वो हमे हम उन्हें बेवजह यूं आजमाते रहे
लो वो हो गए किसी और पुजारी के खुदा
शकील यूंही माथे पर सजदे जलाते रहे
सुन्दर नज़्म
बहुत मन भाई
“दो क़दम चलकर वो रुके हम भी लौटे हैं
वो हमे हम उन्हें बेवजह यूं आजमाते रहे” …. बहुत खूब
जिन्दगी भर कितनी सारी बाते हैं
जिसमे ऐसा ही तो बहुत कुछ हम करते रहे
बेवजह ही आजमाते रहे… 🙂
achchhi gazal.
बहुत अच्छी ग़ज़ल
हमेशा की तरह, बहुत ही ख़ूबसूरत…!