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नैनो की भाषा !

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Hindi Poetry

मरूभूमि सी वीरान कभी ,

कभी उपवन सी सुंदर दिखती है ,

कल-कल बहता झरना कभी ,

कभी चट्टानो सी तपती है !

 

कभी ममता की मूरत बन ,

ये प्रेम सुधा बरसाती है ,

इसके आँचल की छाव तले ,

धरती स्वर्ग बन जाती है !

 

कभी खामोशी का रूप धर ,

हर बात बयाँ कर जाती है ,

बिन कहे एक भी शब्द ,

मन की मनसा दर्शाती है !

 

जब रुद्रा रूप धारण करती ,

ये अग्नि कुंड बन जाती है ,

दुश्मन पर तीखे वार कर ,

ये महाकाल कहलाती है !

 

कभी प्रेम रस की वाणी बन ,

मधुर मिलन करवाती है ,

इज़हार मोहब्बत कर देती ,

जब जूबा सिथिल पड़ जाती है !

 

कभी लज्जा की चादर ओढ़े ,

ये मंद मंद मुस्काती है ,

कुंदन की काया धरी रहे ,

जब शर्म से ये झुक जाती है !

 

यहाँ भाषाओं की भीड़ है ,

हर मोड़ पे बदल जाती है ,

हम प्रेम सूत्र मे बँधे है ,

क्योकि नैनो की भाषा होती है !

 

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा 

One Comment

  1. Vishvnand says:

    नैनो की सुन्दर सी भाषा
    जैसी थी इसकी मधु आशा
    वैसी ही ये लिखी परिभाषा
    हार्दिक बधाई
    और बहुत देर बाद आने की रुसवाई

    रचना में कुछ गलत छपे शब्द अखरते हैं उन्हें edit कर सुधारने की जरूरत है …

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