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‘ ये बैरन बारिश ‘

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Hindi Poetry, Sep 2011 Contest


अबके सावन ऐसा बरसा
तुझसे मिलने मेरा ये मन बड़ा तरसा,
अब तो तनहा जिया न जाये तेरे बिन,
बड़े लम्बे बन गए जीवन के पल-छिन ,
सावन अब बरसता है मेरी पलकों में,
तन तो मेरा अब है सूखा
पर मन में है तेरे मिलन की तड़प,
अब इन आँखों में नींद कहाँ,
सुलगती हँ मेरी ये रातें तेरे बिन,
सुलगते हँ अब तो मेरे दिन,
जाने अब अगला बरस कब आये,
मेरे तन-मन पर पिया सावन बन छाये.

4 Comments

  1. Vishvnand says:

    अच्छी भावपूर्ण प्यारी सी रचना
    बहुत मन भायी …
    बधाई

  2. Ranjan says:

    प्यारी रचना… बधाई

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