« हम पर कृपा करो …..! (Bhajan) | चाहतों का भी कोई सिरा नहीं मिलता. » |
‘ ये बैरन बारिश ‘
Hindi Poetry, Sep 2011 Contest |
अबके सावन ऐसा बरसा
तुझसे मिलने मेरा ये मन बड़ा तरसा,
अब तो तनहा जिया न जाये तेरे बिन,
बड़े लम्बे बन गए जीवन के पल-छिन ,
सावन अब बरसता है मेरी पलकों में,
तन तो मेरा अब है सूखा
पर मन में है तेरे मिलन की तड़प,
अब इन आँखों में नींद कहाँ,
सुलगती हँ मेरी ये रातें तेरे बिन,
सुलगते हँ अब तो मेरे दिन,
जाने अब अगला बरस कब आये,
मेरे तन-मन पर पिया सावन बन छाये.
अच्छी भावपूर्ण प्यारी सी रचना
बहुत मन भायी …
बधाई
@Vishvnand,
धन्यवाद् सर जी,
प्यारी रचना… बधाई
@Ranjan,
thanks sir.