— आ लगा ले साथी हम जोत से जोत—
एक दिया तेरा ला ,एक दिया मेरा ,आ लगा ले साथी हम जोत से जोत //
बहा दे प्रेम की सरिता चहु ओर , आ बदल ले साथी हम सोच से सोच //
बंद करो जख्म देने का सिलसिला ,
भेद भाव भूल कर दिलो को आ मिला ,
जो तेरा है वो मेरा ,मेरा सब तेरा ,
भूल गया क्या तू किस सोच ने घेरा ,
टूट कर बिखर जाये सम्बन्ध अपने यो , ना दे तू साथी चोट पे चोट //
एक दिया तेरा ला ,एक दिया मेरा ,आ लगा ले साथी हम जोत से जोत //
दीप जला तू मेरे घर ,में तेरे घर ,
अंधेरो को मिटाले ,परछाई से ना डर,
ईद हो मुबारक तुझे ,तू कह दीवाली शुभ ,
लग जाये गले से हम ,आये मजा कितना ख़ुब ,
में भला तू भला और ये जग ,क्यों दुन्ड़े हम साथी खोट से खोट //
एक दिया तेरा ला ,एक दिया मेरा ,आ लगा ले साथी हम जोत से जोत //
अलग कर ना पाया कोई रहीम को राम से ,
में चंदा कह बुलाता तू चाँद के नाम से ,
चीज तो है एक बस ,भेद है शब्दों का ,
शब्द तेरे भाव मेरे ,भ्रम है बस दो का ,
एक ही ईश्वर के हम बन्दे है सभी ,तो क्यों हो फिर साथी मौत से मौत //
बहा दे प्रेम की सरिता चहु ओर , आ बदल ले साथी हम सोच से सोच //
एक दिया तेरा ला ,एक दिया मेरा ,आ लगा ले साथी हम जोत से जोत //
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खूबसूरत अंदाज़ -ए -बयाँ की रचना
भावपूर्ण, बहुत मन भायी
हार्दिक बधाई
पर कुछ गलत छपे शब्द सुन्दर रचना में बहुत अखरते हैं जिन्हें ध्यान से सुधारने की जरूरत है ….जैसे
दीया = दिया
और = ओर
में = मैं
दुन्ड़े = ?
@Vishvnand,
dhanywad Visvahnandji……. Typing Misteks hai…… dunde sbad kafi pryaso ke bad bhi shi nhi mila…… baki tik kr luga