« संगीत है | ज़िन्दगी तुझसे ऐसे निभाते रहे, » |
कल आप से तुम, तुम से फिर आप जो तू होंगे.
Hindi Poetry |
कल आप से तुम, तुम से, फिर आप जो तू होंगे.
सब चाक़ ये सीने के एक पल में रफू होंगे. चाक़-विदीर्णता
मत छोड़ परीशां हो उम्मीद का यूँ दामन,
गहराई अगर शब है, सूरज भी तुलू होंगे. तुलू-उदित
हो जायेंगे दिल मैले, यूँ देख तेरा हंसना,
संजीदा हो, वर्ना कल सब दोस्त अदू होंगे. अदू-प्रतिद्वंद्वी, शत्रु
ये वक़्त का जादू है मौसम जो मेहरबां है,
दिन वो भी मुअय्यन है,जब रंग न बू होंगे. मुअय्यन-निश्चित
दो टूक किसे जंचती दुनिया में मेहरबानों,
खायेंगे न क्यों पत्थर जो आईना रू होंगे. आईना रू-दर्पण की तरह रुख वाले