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झर गया जो फूल हिलती शाख से
Hindi Poetry |
झर गया जो फूल हिलती शाख से
रंग मिट्टी में समाया अंततः
हर बुलंदी की यही मंजिल फ़क़त
किस सलीके से बताया अंततः.
मुद्दतों रूठे रहे शोखी में तुम,
देख लो पर प्यार आया अंततः.
सारी दुनिया घूम के जब आ गए,
सिर्फ अपना देस भाया अंततः.
हल अँधेरे का हुआ कब मसअला ,
जब दिया तुमने जलाया अंततः.
रौशनी ने जब किनारा कर लिया,
चल दिया अपना भी साया अंततः.
ये जवानी है सभी अपने लगें,
समझोगे अपना पराया अंततः.
चंद साँसों का महज था सिलसिला
ज़िन्दगी ने ये बताया अंततः
बहुत अच्छे
भायी है रचना ये सुंदर दिल बहुत
शेर ये सारे शुरू से अंततः
हार्दिक अभिवादन
@Vishvnand, dhanyavaad mahashaya.
रौशनी ने जब किनारा कर लिया,
चल दिया अपना भी साया अंततः.
कोई शक नहीं सर, बिलकुल सौ फीसदी सच.
@kalawati, dhanyavad .
दुष्यंत जी गजलो से आँखे सजल
महफ़िल सजाई आपने भी अंतत
सफल होती जा रही हिंदी गजल
इसकी सेवा आपने की अंतत
@rajendra sharma ‘vivek’, aap kee taareef ke qaabil nahin aasman se dhool ki tulna kahan,
bhavna ne aapki natshir kiya,
bhaar mujhse ye magar dhulna kahan, shukriya rajendra ji len shukriya.