« “GAMBLE” | The Different Cycles » |
देहदान !
Hindi Poetry |
देहदान
अपना मृतक शरीर दान कर,
बाबू जी, हमेशा के लिए अमर हो गए,
और पंचतत्व में विलीन करने के बजाय,
एनाटौमी विभाग की लैबोरेटरी में सजाये गए.
सुना है –
ये फैसला उन्होंने अपने जीते जी कर लिया था,
और एनाटौमी विभाग में देहदान का,
रजिस्ट्रेशन करवा लिया था.
वो इस बात को भी भली भांति जानते थे,
की अंतिम संस्कार के बिना मुक्ति नहीं मिलती,
पर उन्हें इस बात का डर था,
कि कहीं उनके अंतिम संस्कार के खर्चे को लेकर,
उनके बेटों में झगड़ा न हो जाय,
और उनके मृतक शरीर की इज्ज़त भी,
कहीं मिट्टी में न मिल जाय.
बहुत सोच – विचार के बाद ,
बाबू जी ने यह निर्णय कर डाला,
मरते-मरते देहदान कर,
नाम भी कमा डाला,
और-
अपने बेटों को बदनाम होने से भी बचा डाला.
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
बहुत अर्थपूर्ण स्तुत्य रचना और मार्मिक व्यंग
आज के लोभी मानवी जीवन ने अपने पुराने श्रेष्ट संस्कारों की अवनति करने में अंतिम संस्कार को भी नहीं छोड़ा है .. 🙁
Commends for the poem…
@Vishvnand,
Harishji,
Fine poem on the hot topic of the day being popularised among senior citizens.
Kusum
@kusumgokarn,
Thanks a lot ! Kusum Ji !!!
@Vishvnand,
हार्दिक आभार और कोटिशः धन्यवाद सर !
dhardaar vyangya ka anupam udaharan.
@siddha Nath Singh, शुक्रिया सिंह साहब का !
प्रसंशनीय रचना
बहुत ही उम्दा व्यंग
बधाई
@Nitin Shukla, सराहना का आभार नितिन जी !
jab bhi anatomy department main dead bodies dekhta tha to kai baar sochta tha ke ye yahan kyo hain— maan main kai saari vichaar aate the–aisa bhi ho sakta hai ,yeh man main kabhi nahi aaya— Bahut hi uttam rachna.ek katu vakhyan magar sach–badahai
@rajivsrivastava, आपकी जीवंत प्रतिक्रया ऊर्जा का संचार करा जाती है डाक्टर साहब ! स्नेह बनाए रखें.
bht umda rachna bht bhaii!!
@pallawi, हार्दिक आभार और धन्यवाद पल्लवी जी !