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बाँहों में आ धमको जी !

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Hindi Poetry

बाँहों में आ धमको जी

 

आज मिला है वेतन जी,

अब किस बात का टेंशन जी,

कल की कोई फ़िक्र न करना,

चलो कोई हिल स्टेशन जी .

 

घर का खाना छोड़ो जी,

रेस्टोरेंट में तोड़ो जी,

चलो आज पीकर तो देखें,

होता क्या बोतल में जी .

 

अच्छा खासा मूड बनाएँ,

मूवी की टिकटें ले आयें,

देखो कितनी सुन्दर लगती,

मेरे ब्रदर की दुल्हन जी .

 

बहुत हो चुकी दुनियादारी,

जी लो इस मौसम को जी .

तुम भी गम को भूलो जानू,

बाँहों में आ धमको  जी .

 

 

***** हरीश चन्द्र लोहुमी

13 Comments

  1. rajivsrivastava says:

    pahle hans looo —————-! bahut hi bahdiya bhai–aur bahon me aa dhamko ji- baho me bharne ka naya style lagta hai——– maja aa gaya

  2. rajendra sharma 'vivek' says:

    बहुत ही सहज और सरल रचना

  3. Vishvnand says:

    बहुत बढ़िया अर्थपूर्ण रचना
    हार्दिक बधाई

    सुन्दर रचना रची आज पर
    जैसा जीवन जीते लोग
    मियाँ बीवी फिक्र न करते
    कल को क्या होना हो हो
    जीवन का मतलब है बदला
    खुद के स्वार्थ को जीते लोग….
    क्या अच्छा है क्या नहीं अच्छा
    किसको फुरसत सोचें लोग….

    • Harish Chandra Lohumi says:

      @Vishvnand, आपका विश्लेषण गज़ब का है सर! रचना लिखते समय मैंने यह सब सोचा ही नहीं था 🙂

      • Vishvnand says:

        @Harish Chandra Lohumi
        मेरा मानना है बहुत बार अपनी रचना के क्या क्या मतलब हैं खुद को ही बहुत देर बाद समझ आते हैं क्यूंकि कई बार रचनाये खुद ब खुद उभर आती हैं जिसे हम अपने समझे interpretation से लिख देते हैं
        अक्सर असली रचनाएँ ऐसी ही होती हैं और रचनाओं का यही तो आनंद है जब अन्य इसे पढ़ते हैं …….

  4. siddha Nath Singh says:

    halki fulki chutki leti rachna.

    • Harish Chandra Lohumi says:

      @siddha Nath Singh, और उस पर आपकी इस सरल और सहज प्रतिक्रया का कोई जवाब नहीं सिंह साहब !

  5. Narayan Singh Chouhan says:

    फक्कडपन को जीति कविता .. बहुत अच्छे

  6. nitin_shukla14 says:

    पहली को थी आई सैलेरी
    आज ख़तम है, हो ली जी
    कैसी गजब कविता रच डाली
    पूर्ण माह की दास्ताँ चंद शब्दों में घोली जी

    बहुत खूब …..बधाई

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