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संगीत है … साक्षात्कार …!
Hindi Poetry |
संगीत है … साक्षात्कार …!
मेरे जीवन की सरगम के
सुर थे चार.
सा रे तो मुख मोड़ चुके थे
ग म ही रहते पास.
पग लागे हैं जब से तेरे,
धन्य हो गयी मन की प्यास
नीरसता ने नाता तोडा,
सात सुरों का है अब साथ
स्वर्ग से सुख की ये बरसात……..!
” विश्वनंद “
बहुत sundar saat suron ka varnan.
@kalawati
इस रचना पर आपके प्रशंसनीय कमेन्ट का हार्दिक धन्यवाद
Vishvnandji,
Very well composed with apt words.
Sincere and heart felt too.
Kusum
@kusumgokarn
Thank you very much indeed for the appreciation of the poem. Music & poetry go hand in hand and gift of passion for them does play a divine role in making one’s life very intensely & heavenly enjoyable.
वाह! बहुत सुन्दर सर गागर में सागर भरना इसे ही कहते होंगे
@chandan
कमेन्ट की बात बहुत मन भायी,
गागर बहुत खुशनसीब है गर उसमे संगीत और सागर की ज़रा सी भी बात सामायी ….
Short, Sweet and Sampuran
@M.K.Vishwashali
सुहावनी संक्षिप्त सराहनीय समीक्षा को सह्रदय सलाम
सा रे ग म प ध नी सा, सा नी ध प म ग रे सा,,
मेरे घर में आटा पीसा, चक्की चला रही दादी सा !
बेटी का है नाम मनीषा, पढ़ती है हनुमान चालीसा,
दूध है अब मिलता पानी सा, तैल को समझते घी सा !
सरगम अब ये हुई पुरानी, सीखने में है आनाकानी !
@ashwini kumar goswami
धन्यवाद
जिस जीवन की बात विदित की
सारे गम इन चार सुरों की
संगीत से जब होता साक्षात्कार
जीवन हो सात सुरों की बहार
सरगम की गरिमा कम ही बची है, डिस्को की ही अब धूम मची है !
सरगम की कहानी हुई पुरानी, जैसे बूढी हों हमारी दादी-नानी !
@ashwini kumar goswami
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
संगीत महान है आत्मा सा पवित्र है
उसकी गरिमा को कभी न आती आंच
जो आज ज्यादा चल रहा है वह संगीत नहीं
सिर्फ ध्वनी प्रदूषण का है कलयुगी नाच
@Vishvnand,
निर्विवाद निर्विरोध भारतीय संगीत महान है,
आत्मा सा पवित्र है जिसमें लय अरु तान है !
सात स्वरों की पृथक-पृथक श्रेणी का स्थान है,
जिनकी स्वर लहरी रचने का पूर्ण संविधान है,
वादी-संवादी स्वरों के अनुकूल राग का ज्ञान है !
सा रे ग म प ध नी की सरगम अब अंतर्धान है,
आधुनिकता में अब डिस्को का ही बस मान है !
यद्यपि सरगम बुढा गई जैसे मानो दादी-नानी,
किन्तु दादी-नानी भी हैं सदा पूज्या जानीमानी !