संगीत है————-

संगीत है क्या-
एक लय है, एक सुर है, एक ताल है,
जब माँ गाये ममता भरी लोरी
तो लगे कि जैसे संगीत है,
जब नन्हा मारे खुशियों -भरी किलकारी
तो लगे कि जैसे संगीत है,
जब किसान के खेतों में झूमे बाली
तो लगे कि जैसे संगीत है,
नदिया की उच्छल तरंगों में भीगे
जो चिड़िया के फैले पंख
तो लगे कि जैसे संगीत है,
कुम्हार के हाथों जो अनगढ़ मिटटी ले
कोई नया सा रूप
तो लगे कि जैसे संगीत है,
सूने वन में नाचे मन- मोहनी मोर
और संग जो नाच उठे मन मयूर
तो लगे कि जैसे संगीत है,
साजन की याद में तरसती सजनी
पर जो बरसे सावन
तो लगे कि जैसे संगीत है,
गम का अँधियारा जाये और खुशियाँ
डेरा लगाये
तो लगे कि जैसे संगीत है,
जीवन की हर मुस्कान में ही तो हँ
संगीत के सात सुर
ये जो बज उठे लय में
तो लगे कि जैसे संगीत है,
सुन्दर रचना बहुत मन भायी आपको बधाई
संगीतप्रेमी को सच है हर सुन्दरता में संगीत देता सुनायी
@Vishvnand,
Kalawatiji,
Very beautiful composition.
To feel music in every small and big things in life is a great idea.
Our classical raagaas are based on different moods of seasons.
There is music in every aspect of Nature. – the whistling breeze, the drumming thunder, the pitter patter of rain, the trumpeting of sea waves, the humming of bees, the twitter of birds….
All that we humans do is imitate it all.
Kusum
@kusumgokarn,
बिलकुल सच कहा आपने , जब दिन शुरू होता है तो संगीत भी चiरों और बजने लगता है, धन्यवाद् आपका.
@Vishvnand,
हाँ जी सर,
हम रोज़ ही तो ये सात सुर हमारी जिन्दगी में हर दिन न जाने कितनी बार गाते हँ
( महसूस) करते हँ, आपका शुक्रिया आपको मेरे विचार अच्छे लगे.
आपकी इस कविता में भी मुझे नज़र आया संगीत है. अति सुन्दर!
@chandan,
आपका शुक्रिया सर जी, आपको पसंद आया .