« Dichotomy of a Beach | Music » |
“कसाब” खुद ही फांसी चढ़ जायेगा……………..
Hindi Poetry |
“कसाब” खुद ही फांसी चढ़ जायेगा……………..
खून खौलता है याद कर 26/11
मंजर याद आते ही चढ़ जाता है पारा
खुले आम उसने खून की होली खेली
फांसी नहीं चढ़ा पाया उसे कानून हमारा
बहुत आसान तरीका हम बताते है
‘कसाब’ को विदर्भ का किसान बनाते है
जेल का ऐसो आराम उसे यहाँ नहीं मिलेगा
सजा नहीं दे पाया इसलिए देश नहीं जलेगा
अपने कर्मो पर कसाब खूब पछतायेगा
हर पल उसे जेल का सुकून याद आएगा
विदर्भ का “किसान” होना ही गुनाह है
शर्त है अपनी “कसाब” खुद ही फांसी चढ़ जायेगा……………..
Bhai shab aap ne bilkul sahi kaha ….i agree with u.
@vikram,
बहुत बहुत धन्यवाद भाईजी….
भई क्या बात है
इस गंभीर विषय पर अति सुन्दर बहुत प्रशंसनीय रचना
इसके लिए हमारा वंदन और हार्दिक अभिवादन स्वीकारना
बहुत प्रभावी मार्मिक है ये अंदाज़ ए बयाँ
जैसे जोर का तमाचा लगाया हो लगाना था जहाँ
नहीं सुधरेगे ये सब अहिंसा के कैदी
जब तक न हिंसा हो और हो बर्बादी
ये कैसी है शिक्षा इन आतंकियों को
ये तो शिक्षा कड़ी है देशवासिओं को
@Vishvnand,
आपकी इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सरजी…..
जबरदस्त प्रहार !
@Harish Chandra Lohumi,
जी धन्यवाद !
Its true
Very nice
@rajdeep bhattacharya,
Thanks dear….
ह्रदय को छू गयी . बधाई स्वीकार करें .
@suresh dangi,
बहुत बहुत धन्यवाद जी……