« निजात की है यही एक राह, कहते हैं. | ये संगीत है क्या ……? » |
ज़मीं का दर्द न समझेंगे आसमां वाले.
Hindi Poetry |
ज़मीं का दर्द न समझेंगे आसमां वाले.
कदम कदम पे कुचल देंगे आसमां वाले.
न देख पाएंगे कोशिश कभी संवरने की,
सर आसमान उठा लेंगे आसमां वाले.
यही से टूट के पाया है चाँद को फिर भी,
तवक्को और भी रक्खेंगे आसमां वाले.
गजल की यह पंक्तिया अच्छी लगी की …..
न देख पाएंगे कोशिश कभी संवरने की,
सर आसमान उठा लेंगे आसमां वाले.