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जीवन का संगीत
Hindi Poetry, Oct-Nov 2011 Contest |
जीवन के लम्बे सफ़र में
संगीत का योगदान सार्थक है
साहित्य संगीत कला विहीन का
इस जग में जीवन निरर्थक है
सुख दुःख मिलन वियोग
की अनुभूतियों में तन्मय
तबला ढोलक मृदंग की थाप पर
सुर,लय ,ताल का समन्वय
बांसुरी गिटार हारमोनियम की धुन
सरोद सारंगी इकतारा पर संगीत सुन
मन अंतर्मम की यात्रा करने लगता है
समय का पहिया मानो थम सा जाता है
संगीत का योगदान सार्थक है
साहित्य संगीत कला विहीन का
इस जग में जीवन निरर्थक है
सुख दुःख मिलन वियोग
की अनुभूतियों में तन्मय
तबला ढोलक मृदंग की थाप पर
सुर,लय ,ताल का समन्वय
बांसुरी गिटार हारमोनियम की धुन
सरोद सारंगी इकतारा पर संगीत सुन
मन अंतर्मम की यात्रा करने लगता है
समय का पहिया मानो थम सा जाता है
बिना संगीत सूने, सब उत्सव संस्कार
संगीत ही तो है जीवन का आधार
विवाह का अवसर या हो तीज -त्यौहार
वाद्य-यंत्रों पर थिरकते नूपुरों की झनकार
कालिंदी-कुंजों में सजते महारास हों
या मणिपुरी नृत्यों में मृदंग की थाप हो
बांसुरी की तान पर गोपियाँ सुधबुध भुलातीं
गिरिधर दिवानी मीरा ठौर ठौर भजन गाती
तानसेन बैजू-बावरा के गाए महाराग अब कहाँ
पानी में लगा दे आग वह दीपक राग अब कहाँ
वर्षा की झम झम में पायल की छम छम में
भँवरों की गुन गुन में घुँघरू की छुन छुन में
सुन सको तो प्रकृति भी सारी संगीतमय है
तट से टकराती तरंगों में भी एक लय है
साँसों का आरोह अवरोह ही जीवन है
इनका आना जाना संगीत का स्पंदन है
संगीत ही तो है जीवन का आधार
विवाह का अवसर या हो तीज -त्यौहार
वाद्य-यंत्रों पर थिरकते नूपुरों की झनकार
कालिंदी-कुंजों में सजते महारास हों
या मणिपुरी नृत्यों में मृदंग की थाप हो
बांसुरी की तान पर गोपियाँ सुधबुध भुलातीं
गिरिधर दिवानी मीरा ठौर ठौर भजन गाती
तानसेन बैजू-बावरा के गाए महाराग अब कहाँ
पानी में लगा दे आग वह दीपक राग अब कहाँ
वर्षा की झम झम में पायल की छम छम में
भँवरों की गुन गुन में घुँघरू की छुन छुन में
सुन सको तो प्रकृति भी सारी संगीतमय है
तट से टकराती तरंगों में भी एक लय है
साँसों का आरोह अवरोह ही जीवन है
इनका आना जाना संगीत का स्पंदन है
संतोष भाऊवाला
बहुत सुन्दर !
आदरणीय प्रताप जी ,आपको कविता पसंद आई आभारी हूँ धन्यवाद !!
संतोष भाऊवाला
यह रचना संगीत पर सुन्दर सी मन को बहुत ही भायी है
सच; साँसों का आरोह अवरोह स्पंदन सब जीवन संगीत ही तो है …
Hearty commends ….
आदरणीय विश्वनंद जी ,आपका आशीर्वाद सदैव यूं ही मिलता रहेI अनेकानेक धन्यवाद !!!
सादर संतोष भाऊवाला
शायद यह रचना उस रिक्त स्थान की पूर्ति करे !
आदरणीय हरीश जी ,बहुत बहुत आभारी हूँ आपकी कसौटी पर शायद खरी उतर पाऊं शुक्रिया !!!
सादर संतोष भाऊवाला
sundar.
@siddha Nath Singh, Santosh,
Last stanza is a fine tribute to the lilting music of bygone masters that was so soothing to the nerves..
In comparison the music of today with re-mixes and loud orchestra is so loud and noisy that it gives a headache .
Kusum
कुसुम जी ,आपको कविता पसंद आई , आप सभी का प्रोत्साहन लिखने की प्रेरणा देता है Iधन्यवाद !!!
संतोष भाऊवाला
आदरणीय सिद्धनाथ जी ,आभारी हूँ
संतोष भाऊवाला
बहुत सुन्दर रचना है…..
आदरणीय पालीवाल जी ,आपको कविता पसंद आई ,आभारी हूँ आशा करती हूँ भविष्य में भी आप लोगो का स्नेह इसी तरह मिलेगाI शुक्रिया !!!
संतोष भाऊवाला