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बेरंग बहारों का नगर देख रहे हैं,
Hindi Poetry |
बेरंग बहारों का नगर देख रहे हैं,
दिल टूट रहा तो है मगर देख रहे हैं.
एक उम्र परिंदों को हुई झुकते झिझकते,
फड़का के फ़क़त कब से ये पर देख रहे हैं.
तुम तीरगी ए शब में करो अज्मे सफ़र तर्क़, तीरगी-तिमिर, शब-रात्रि,अज्मे सफ़र-यात्रा प्रण
हम हद्दे उफ़क़ पर है सहर, देख रहे हैं. हद्दे उफ़क़-क्षितिज की सीमा, सहर-भोर
हर दोस्त अदावत ही अदा करने लगा है,
दुश्मन की दुआओं का असर देख रहे हैं.
क्या होगा सबब शहर की शोरीदासरी का, शोरीदासरी-विक्षिप्तता
हर दर पे, दरीचे पे ठहर देख रहे हैं.
दिल कर चुके, जां कर चुके, कुछ भी न रखा पास,,
क्या और करें तुझको नज़र, देख रहे हैं.
सुन्दर सजी ये नज़्म जो पढ़ देख रहे हैं
बधाई