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होश की बातें करेंगे ……!
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होश की बातें करेंगे ……!
आ, पिला दे साकिया थोड़ी सी कुछ मस्ती से आज,
होश की बातें करेंगे होश आ जाने के बाद …..!
जो हैं पीते लोग कहते होश में रहते नहीं,
मेरे जैसे होश में आते हैं पीने ही के बाद…..!
होश क्या है किसने जाना हमने माना है यही,
होश में आता है इन्सां ख़ुद को पा जाने के बाद…….!
दोस्ती का गम नहीं अब जब से जाना “विश्वनन्द”,
दोस्ती है भूल जाना मतलब निकल जाने के बाद….!
जब शुरू होता है दिल में दर्द का ये सिलसिला,
याद आ जाती तुम्हारी याद ही यादों के बाद….!
मै भटकता तू है मंजिल कैसे समझाऊँ तुझे
हर जगह पहुचा मगर तेरे चले जाने के बाद……!
क्या हमें पाना यहाँ है क्यूँ यहाँ भटके हैं हम,
क्या समझ ये आयेगा हमको खुदा मिलने के बाद…….?
इक नया अंदाज कैसा जिन्दगी का मिल गया,
जीना है बेफिक्र जैसे जी रहें मरने के बाद….!
आ, पिला दे साकिया थोड़ी सी कुछ मस्ती से आज,
होश की बातें करेंगे होश आ जाने के बाद …..!
“विश्वनंद”
आधारित: श्री पंकज उदास जी की गायी खूबसूरत ग़ज़ल “ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के बाद”
इक नया अंदाज कैसा जिन्दगी का मिल गया,
जीना है बेफिक्र जैसे जी रहें मरने के बाद….!
बहुत खूब !
@Harish Chandra Lohumi
कमेन्ट के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे भी ये पंक्तियाँ बहुत मन भायीं जब लिख पडीं.
मुझे लगा की शायद ये निम्न परिचित saying का ज्यादा सटीक भावार्थ है .
“In any difficult or assumed hopeless situation don’t worry; First ask yourself: What is the worst that can happen? Then prepare to accept it. Then proceed to improve on the worst.” …. Dale Carnegie
बहुत सुन्दर गजल सरजी…..
सुरु से आखिर तक मजा देती रही….. देती ही गई……
बहुत बहुत बधाई सरजी ….
@dr.paliwal
आपकी प्रतिक्रिया मन को ख़ुशी और तसल्ली देकर गयी … देती ही रही … स-ह्रदय धन्यवाद
bahut khoob.