एक उड़ान मेरे सपने में रोज आती है
एक उड़ान मेरे सपने में रोज आती है |
कभी चलती है डरी हुई सी |
कभी खुली परवाज़ बन जाती है |
कभी झांकती है चोरों सी |
कभी सच का आगाज़ बन जाती है |
कभी थके परों सी गिरती है |
कभी हौसलों सी दबंग हो जाती है |
क्या है ये ?
मैं समझ नहीं पाती
पर सच कंहूँ तो ये मुझे
मेरे होने का अहसास कराती है |
एक उड़ान मेरे सपने में रोज आती है |
ये कोई इशारा है भविष्य का
या पीछे छूटा कोई ख्वाब,
या उससे भी परे
पिछले जन्म की कोई याद है |
बचपन से जवानी की दहलीज भी लांघ गई
पर ये कठिन पहेली सी
हमेशा दिमाग थका जाती है |
एक उड़ान मेरे सपने में रोज आती है |
उडती तो हूँ पर पंख दिखाई नहीं देते है |
महसूस तो करती हूँ पर हवा के “पर” सुनाई नहीं देते है |
जैसे किसी योगी ने साधा हो अपने योग से |
बस अपने अंदर, उड़ते हुए |
एक ‘दम’ का एहसास पाती हूँ |
आश्चर्य!!!!
बिलकुल वैसे ही जैसे
जेहन में अचानक, कोई कविता झांक जाती है |
एक उड़ान मेरे सपने में रोज आती है|
मेरे जैसी न जाने कितनी आँखे
ये सपना खुली आँखों से पालती है |
कुछ पहुँच भी जाती है चाँद तक,
पर कुछ, चंद क़दमों में थक जाती है |
आखिर मेरा हश्र क्या होगा ????…..
फर्श या अर्श ?
एक चिरस्थाई प्रश्न छोड़ जाती है
एक उड़ान मेरे सपने में रोज आती है|
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क्षिप्रा जी रचना में भावो की गहराई एवम भाषा में प्रवाह है
ऐसी रचनाये सिर्फ ह्रदय से ही बन पाती है
धन्यवाद सुन्दर रचना के लिए
@rajendra sharma ‘vivek’, शुक्रिया सर,
क्षिप्रा…अंतर्द्वंद में डोलती एक तलाश और उड़ान भरती ये काश, लगता है खुद बा खुद तुम्हारे हाथों से उकरती चली गयी है शब्दों में…अजीब सा सच है, अर्श मिले तो हर्ष हो और फर्श मिले तो रोष..पर ये मिलने की अनिश्चितता इसे हम कैसे महसूस करें और क्या नाम दें…
@Reetesh Sabr,इस अनिश्चिता को नाम भले ही न दिया जा सके पर महसूस करना ही अपने आप में वर्थ है | शुक्रिया सर | आप साईट पे नहीं है शायद ब्लॉग से यहाँ आयें है |
बेशक..देखो न शब्दों से इसे उतार कर भी तुम भी स्वीकारती हो कि यह नाम का मोहताज नहीं..पर सत्य वाकई में अनुभूति ही है. मैं साईट पर हूँ..तुम मेरी रचनाएँ भी बखूब पढ़ सकती हो. ब्लॉग भी है तुम्हारा?
क्षिप्रा जी, आज अनायास ही गूगल खोज से फिर इस पेज पर आ पहुंचा हूँ. देखा कि दो एक बातें कमेन्ट के मार्फत हुईं हैं अपने दरम्यान. फिर ये भी देखा कि साईट पर मेरी मौजूदगी की पुष्टि के बावजूद, अब तक शायद आप ने विज़िट नहीं किया मेरा पेज. देखिएगा अगर समय और दिलचस्पी इजाज़त दें तो.
धन्यवाद !
Ati sundar rachana, Kudos.
Vivek ji aur Sabr ji kii prartkriaayon se poorn sahmati.
Rachanaa kitanii man bhaayii ise shabdon me kah gahraaii kii udaan ko seemit nahiin karanaa chaahataa.
Bas aap yuun hii sundartam rachanaaye likhatii aur post karatii rahen yahii man kii aavaaz hai
no comment!!!!!!!!!!!!!!!
क्षिप्रा आपकी रचनाओं में वह भाव वह प्रभाव है ,
जो दाल देती इंसान में मंजिल पाने का प्रतिभाव है /
क्षिप्रा आप एक ऐसे महान कवि हो जिसके गुणों का वर्णन आसमान को छूने के समान है .आपका तहे दिल से धन्यवाद {महेंद्र}
@mahendra r diwakar, बहुत-बहुत शुक्रिया महेंद्र जी .अब तक का सबसे बड़ा और अच्छा कमेन्ट दिया है आपने |सच क्या है ये तो नहीं जानती बस जब दिल से आवाज,और दिमाग से push मिलता है कलम खुद-ब-खुद अगुलियों को चलाकर शब्द पिरो देती है|एक बार फिर से हार्दिक धन्यवाद |