« “आधुनिकता VS संस्कृति” | सजा है स्वार्थ साधन की, सो इसको दंड वत कहिये » |
कितने हसीन कितने लगें पुर जमाल आप.
Hindi Poetry |
कितने हसीन कितने लगें पुर जमाल आप. पुर जमाल-सुन्दरता युक्त
सच ही कहे हैं लोग हैं अपनी मिसाल आप. मिसाल-उपमा
कितने उलझ के इसमे सनम जान से गए,
अब तो समेट लीजिये जुल्फों का जाल आप.
मालूम है किसी को कहाँ वक्ते रुखसती, वक्ते रुखसती-विदा का समय
सामान यूँ न बैठें सभी खोल खाल आप.
खुद आप के है हाथ में अपना भला बुरा.
खुद ही उरूज लायेंगे, खुद ही जवाल आप. उरूज-उत्कर्ष,जवाल-पतन
हैं आज दिन खराब तो अच्छे भी आयेंगे,
हिम्मत न जाएँ हार, रखें मत मलाल आप.
अच्छा हो आप अब तो तरीका सुधारिए,
कब तक रखेंगे मुल्क को यूँ पायमाल आप. पायमाल-पद दलित
आखिर तो काम आएगी दो गज़ ज़मीन भर,
हों भूमिहीन या कि बड़े हों भुवाल आप. भुवाल-भूपाल, भूमि पति, राजा
मुफलिस हों इर्द गिर्द तो कैसा महलसरा
आंसू में उनके गर्क़ न हों बाल बाल आप.
कुदरत से जंग जायेगी सुन लीजे रायगाँ रायगाँ-व्यर्थ
वो हालते खराब करेगी बहाल आप.
एक रोज़ देके ध्यान ज़रा बात कीजिये,
कब तक ख़ुदा को देंगे भला मिस्ड कॉल आप.
वाह वाह बहुत खूब हार्दिक बधाई
सच बात बढ़िया नज़्म में सुनादी है जो आज
हम सोच रहे इसका क्या जवाब देंगे आप
इतना तो जाईये नहीं आपे से बाहर आप
हमने तुम्हे बनाया है ये भूले ख्याल आप