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गए दिन बीत बस इकबार, फिर से ये नहीं मिलते….!(Geet)
Hindi Poetry, Podcast |
This is very old composed situational song (1965) now being posted with its new podcast sung in the tune it had got composed.
A young man has a chance meeting with a young attractive lass who is not paying any heed to his advances, so he sings…….
गए दिन बीत बस इकबार, फिर से ये नहीं मिलते….!
माना कि हो सुंदर तुम, मगर ये दिन नहीं रहते,
गए दिन बीत बस इकबार, फिर से ये नहीं मिलते…..
करो मत नाज़ यूं ख़ुद पर, ज़रा सा सुनलो भी मेरी,
न खोना वक्त ये सुंदर, किसीसे प्यार कर लो जी,
खड़े जो हम तेरी राहों में अब, हरदम नही रहते,
गए दिन बीत बस एकबार, फिर से ये नहीं मिलते…..
फिर से ये नहीं मिलते…..
माना कि हो सुंदर तुम….!
जो ख़ुद में खो गई हो तुम, ज़रा दुनिया को भी देखो,
किसी को अपनी नजरों से, ज़रा सा प्यार तो दे दो,
तुझे अब क्या कहे कोई, लो तुम कुछ भी नही कहते….
गए दिन बीत बस एकबार, फिर से ये नहीं मिलते…..
फिर से ये नहीं मिलते…..
माना कि हो सुंदर तुम….!
जो कहता आज तुझको मैं, कभी तो याद आयेगा,
मिलेगा तुझको ना दुनिया में, मेरे जैसा दिलवाला,
बड़े अफसोस से लो अब चले हैं, दूर हम तुमसे,
गए दिन बीत बस एकबार, फिर से ये नहीं मिलते…..
फिर से ये नहीं मिलते…..
माना कि हो सुंदर तुम, मगर ये दिन नहीं रहते,
गए दिन बीत बस इकबार, फिर से ये नहीं मिलते…..
” विश्वनन्द “
Sir,
you were missed on this forum . A nice lyric ,very sensitive and laden with simple positive advice .
sarala.
@SARALA KURUP JAGAN
Thank you so very much for your delighting compliment to the poem & sentiments too. I also missed p4poetry for some days.
वाह ! क्या बात है सर !
मनभावन अंदाज़ में एक शानदार अभिव्यक्ति मानो कह रही हो-
Time & tide wait for none.
हर पल को खुशी खुशी जी लेने का सन्देश देती रचना.
@Harish Chandra Lohumi
Thanks very much for your delighting comment,
Indeed time & tide wait for none
Why should we postpone life’s enjoyments
What is right here with us in the present
is moment to moment a Godsend present…..