« कहा तो ठीक कि दुनिया का सामना करिए. | खुदा से तुम्हे पाने की सिफारिश कर रही हू .. » |
टारगेट….!
Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry |
टारगेट….!
………….
बेटे,
कहीं हुआ क्या ?
अरे होगा कैसे?
कभी मेहनत करता तो होता ना !
इसका कोई कोई एम ही नहीं है,
कोई टारगेट ही नहीं है.
अब बस करो यार !
बहुत टॉर्चर किया है तुम सबने,
बहुत बेईज्ज़त हो चुका हूँ मैं,
मैंने टारगेट बना लिया है,
अब मेरा टारगेट है-
तू ..तू और तू भी.
नसीहत अपने रंग में आ चुकी थी.
*** हरीश चन्द्र लोहुमी
भाई वाह, बढ़िया अलग सी रचना और up to date
पर समझ नहीं आ रहा
पहले outdated फिर target
क्या आप इन up to date रचनाओं से
करना चाहते outdated को target …..? 🙂
@Vishvnand, हार्दिक आभार और धन्यवाद सर ! आपकी प्रतिक्रिया हमेशा रचना पर भारी पड़ती है. अब और भी असमंजस हो गया है कि कौन है old कौन है outdated और कौन है updated 🙂
Nice lines…
@Bhanu, Thanks a lot !!!
चलो जी टार्गेट तो बन गए अब एम का क्या करें,वह भी तो चाहिए होगा वर्ना टार्गेट तो मुंह चिधायेंगे और तीर निशाने से अलग ही जायेंगे.
@s.n.singh, यह सब पता होता तो पप्पू का कहीं हो नहीं जाता सर ! 🙂
हार्दिक धन्यवाद और आभार आपने बात रखी तो .
अच्छी सोंच !!! कुछ लोगों के लिए नशिहत !!!!
@Rajeev,
समझने वालों के लिए या समझाने वालों के लिए 🙂
Hullo
Great Lines …. in aimless times.
sarala
@SARALA KURUP JAGAN,
Thanks for appreciation Maa’m.