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पामाली है नेक़ी की, जयकार फ़क़त बद की.

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Hindi Poetry
पामाली है नेक़ी की, जयकार  फ़क़त बद की.
कुछ करिए वजाहत अब इस मुल्क के मकसद की.   पामाली-पतन,वजाहत-स्पष्टीकरण,
 
तस्वीर बदलने  का  दावा था शहर भर की,
खुद आप महज बदले अच्छी ये क़वायद की.
 
गलियों को सजाने के मंसूबे बताये थे,
रौनक बढ़ी बतलाएं क्यों सिर्फ है मसनद की .
 
क्या सबका रवैया है दर असल ये जम्हूरी,
कुछ शर्म करो यारों, कुछ हद तो रखो भद की.   जम्हूरी-लोकतान्त्रिक
 
बौना है किया तुमने इन्साफो अदल बेबस
क्यों फिक्र तुम्हें ठहरी खुद अपने फ़क़त क़द की.   इन्साफ-न्याय,अदल-न्याय व्यवस्था,
 
जितना भी हुआ मुमकिन जी खोल के लूटा है,
कोशिश है पकड़ने की, चोरों को, सदा रद की.
 
अन्दर हैं गड़े मुर्दे कुछ क़त्ल ज़मीरों के,
इतनी है हकीकत, हर सोना जड़े गुम्बद की.

One Comment

  1. Vishvnand says:

    जबरजस्त शानदार और मार्मिक
    अर्थपूर्ण प्रहार अभिवादन हार्दिक ……

    मदहोशों को लाने हैं कुछ होश ये नेकी के
    जितनी करें तारीफें कम ही लगें इस पद की ………

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