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मंगलमय हो आगत वर्ष..

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Hindi Poetry
मीड मूर्च्छना लाया सुर ताल.
सबका आज न पूछो हाल. 
शोर शराबा है संगीत
गायन हुआ बजाना गाल.
 
चारों ओर अँधेरा तान
करें रोशनी का गुणगान.
वैमनस्य का कर अभियान
भारत होने लगा महान.
 
सत्ता से सत का गंठजोड़
दिया स्वार्थ ने कब का तोड़.
करें विदेशी जन उपभोग. 
काला धन जो जमा करोड़
 
काँटों से हर हाथ खरोंच
उगा बताते सुर्ख गुलाब.
दिखा दिखा कर झूठे ख्वाब
लूटें सबको नए नवाब.
 
शब्द ब्रम्ह रह सके सजीव,
सब सवाल से बड़ा सवाल.
पुस्तकालयों में साहित्य
चाट रही दीमक बन काल.
 
अर्थ रहा कर नित्य अनर्थ,
नीति नियम अतिशय असमर्थ
अब अरण्य रोदन भर धर्म,
धृति क्षमा दम सब कुछ व्यर्थ.
 
अर्थ व्यवस्था का अब अर्थ
ग़ुरबत रही अमीरी पाल.
कम न गए ने किया निहाल
देख दिखे क्या आते साल.
 
अधोपतन या चिर उत्कर्ष,
दुःख दारुण  लाये या हर्ष,
यही कामना  करें सभी
मंगलमय हो आगत वर्ष.

5 Comments

  1. rajendra sharma'vivek' says:

    Sakaaraatmk soch ho nav srijan nav josh ho
    failaa nahi kahi rosh ho, base hriday santosh ho
    bharaa pooraa jankosh ho ,nav varsh me anutosh ho
    ukt panktiyo se aagat varsh ki agri m badhaai
    nav varsh par rachanaa achchi lagi

  2. ashwini kumar goswami says:

    अत्युत्कृष्ट आगत नव वर्ष हेतु शुभ कामना,
    १० दिन बाद हम करेंगे नव वर्ष का सामना !
    हार्दिक बधाई !

  3. Vishvnand says:

    सुन्दर रचना करे मदहोश
    अर्थपूर्ण दिखावे दोष
    आगे सच्चा है संघर्ष
    करती है संचार ये जोश
    रात गुजर रही होनेवाला है सवेरा
    नया वर्ष है जनता का…. उजियारा ….!

    इस अति मनभावन रचना के लिए हार्दिक अभिवादन

  4. Aditya ! says:

    उम्मीद पर दुनिया कायम है. अगला वर्ष मंगलमय हो, ऐसी आशा है.
    सुन्दर रचना.

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