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सपने मे मैं
Dec 2011 Contest, Hindi Poetry |
लगी आँख तो सोया मैं,
जादूनगरी में कहीं खोया मैं,
भीड़ बहुत ही भारी थी,
पब्लिक चीखे जा रही थी,
आया हुआ कोई स्टार था ,
पागल जिसके पीछे संसार था,
चेहरा जब उसका सामने आया,
कोई और नहीं मेने खुद को पाया ,
भीड़ मुझे बस घेरे थी,
कदमो में दुनिया मेरे थी,
हर किसी को आगे आना था,
और मुझसे हाथ मिलाना था,
पिक्चर का सीन फिल्माना था,
हिरोइन संग मेरा गाना था,
डिरेक्टर ने जैसे बोला एक्शन,
बन गया में फिर माइकल जकक्सन ,
हिरोइन ने बाहों में बाहें डाली थी,
हर स्टेप पे मेरे बजती ताली थी,
खत्म हुआ शोट डिरेक्टर ने बोला कट,
कट की जगह सुनी मुझे खट खट,
खुला गेट मम्मी अंदर आई,
हटा के मेरे मुह पे से रजाई,
बोली क्या तुझको नहीं नहाना,
सात बज गए ऑफिस नहीं जाना,
बात मेरे तब समझ में आई,
सब सपना था नहीं थी सच्चाई,
सपनो की दुनिया से मै बाहर आया,
हुआ तैयार और अपना बैग उठाया,
सोचा मम्मी थोड़ी दैर और ना उठाती,
तो आज मेरी पिक्चर रिलीज़ हो जाती.
रचना मन भायी
सपने यूं ही फँसाते हैं
बन ये मित्र से आते हैं
दिल यूं ही बहकातें हैं
शत्रु से छोड़ के जाते हैं
फिर भी हमको ये भाते हैं 🙂
i also used 2 have such kind of dreamz….. love d poem…. really a nice one 🙂
मन भावन रचना . सपने देखते रहिये . फिल्म रिलीज़ हो ही जायेगी .
बहुत खूबसूरत कविता है…
उम्दा 🙂
mazedar rachna.
i really loved it…was fun reading…enjoyed throughout..:)
A nice one.
Thanks to all of you for encouraging me by your comments 🙂