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सपने.
Dec 2011 Contest, Hindi Poetry |
हकीकत से बहुत हैं दूर सपने
सभी को हैं यही मंज़ूर सपने.
जगा दें प्यार की सरगम सुहानी,
रगेजां में बजें संतूर सपने. रगेजां-shira
बड़े दिलकश थे जब थे आप उनमे,
हुए अब किस क़दर बेनूर सपने.
हुईं हैं बेबसर कैसी वो आँखें,
जहाँ पर थे कभी भरपूर सपने. बेबसर-जिनकी रौशनी चली गयी हो,
लगी है ठेस शायद ठोस सच की,
हुए जाते हैं सारे चूर सपने
उड़ीं नींदें है जिनकी आँख तक से,
वो देखें किस तरह मजबूर सपने.
बहुत खूब और बढ़िया
हो जाए सार्थक जीवन जो देखे
प्रभुप्रेम में डूबे हुए भरपूर सपने ….
Hakikat har manjil hui mushkil
Sahara hamako de rahe sapane
it is really beautiful..
beautiful..
सुन्दर सपने ……..
उड़ीं नींदें है जिनकी आँख तक से,
वो देखें किस तरह मजबूर सपने.
हासिल ए ग़ज़ल शेर!