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सपने………
Dec 2011 Contest, Hindi Poetry |
छोटी छोटी बातें, छोटे छोटे सपने
कुछ ऐसी ही हमारी जिंदगी थी
छोटे सपनों के संग खेलना हमेशा
बस यही तो हमारी सबसे बड़ी ख़ुशी थी
बातें कुछ ऐसी की दुनिया घुमा दे
सूरज को चाँद और चाँद को खिलौना बना दे
जानते हैं बातें वो बेमतलब थी हमारी
पर थी कुछ ऐसी कि सबको दिवाना बना दे
सपने जो देखा करते थे
आज सोच कर भी हंस जाते हैं
पर आज इन अश्कों कि बारात के आगे
सपने बस वो ही अछे लगते हैं
सूरज को बनाकर साईकिल अपनी
बादलों पे हमेशा उड़ा करते थे
और कभी बैठ चाँद पर
तारों को गिना करते थे
एक दोस्त शेर होता था हमारा
हर पल चलता था हमारे दुपट्टे के सहारे
जब जब हम पैर रखते थे सड़क पर
दौड़ने लगता था सड़क के किनारे
हाथों पे रहती थी परी हमारे
छड़ी घुमा के सब कुछ बदल जाती थी
शायद वो वही रानी परी थी
जिसकी कहानी नानी माँ सुनाती थी
ऐसा ही कुछ बचपन था हमारा
थोड़े बेवकूफ थोड़े पागल थे हम
पर इस समझदारी से तो अच्छा था
हर रोज़ दिल खोलकर हंस तो लिया करते थे हम
सपने आज भी कुछ वैसे ही हैं
बस नज़रिया थोडा बदल दिया है दुनिया ने
कल तक बनाते थे चाँद को खिलौना
आज देखते है चाँद पे पहुँच जाने के सपने
सुन्दर रचना बहुत मनभावन है
हार्दिक बधाई
छुटपन के छोटे सपने
वही तो सच थे अपने
बडेपन में जो देखें
वो सच कहाँ हैं होते ……..
thank you so much sir…..
and very well said dat bachpan ke sapne hi sach hote hain bade hokar to diffrentiate hi nhi kar paate ki kya sapne hain, kya khwaab hain or kya lakshya hai……
waah waahhhhh kiya baaat hai.
bahut khubsurat hai….
@Anju singh, thank you sir
सपनो की कहानी कुछ ऐसी ही है.. उम्दा रचना..
@Aditya !, क्या करें सपने कुछ ऐसे ही होते हैं….. धन्यवाद…. 🙂
liked your poem alot..and yes it brought back childhood memories..:)
@sonal goswami,
thanq so much 🙂
this poem makes me smile because it actually make me realize the beauty of childhood….