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” सपनों की दुनिया “
Dec 2011 Contest, Hindi Poetry |
” सपनों की दुनिया “
ये सपनों की दुनिया भी
कितनी अजीब होती है ,
आँखें देखती है जिसे
पर ये दिल के करीब होती है !
कुछ जागती आँखों के सपने ,
तो कुछ बंद पलकों तले पलते सपने ,
कुछ बुने हुए पूरे होते सपने ,
तो कुछ टूटे हुए अधूरे सपने !
ऐसे ही सपनों की दुनिया में खोई ,
दो नन्हीं सहेलियों की थी एक दुनिया !
एक थी महलों की शहज़ादी प्यारी-सी ‘सारा’ ,
तो दूसरी थी झोपड़ी में पली सीधी-सादी ‘सबा’ !
दोनों के सपनों की दुनिया थी कुछ इस तरह ,
बहती हुई एक नदिया में दो धारा की तरह !
‘सारा’ के पास थी बेशुमार दौलत ,
कपडें, खिलौने और ढेर सारी चोकलेट ,
तो ‘सबा’ के पास भी थी उसके
बाबा और आई के प्यार की बेहिसाब दौलत !
‘सारा’ को न मिला था अपनों का प्यार कभी ,
‘सबा’ को न मिला था खुशियों का संसार कभी !
‘सारा’ के सपनों का था एक खुला आसमान ,
जहाँ न थी पाबंदी ,
ना नियमों का कोई नामो-निशान !
खुली हवा में फैली थी बस
अपनों के प्यार की खुशबू ऐसी ,
इस खुशबू से भरी ‘सारा’ के
सपनों की दुनिया थी कुछ ऐसी !
‘सबा’ के सपनों का भी
था एक अलग ही जहाँ ,
अपने बाबा और आई के प्यार से सजा
वो सपनों का एक अनोखा संसार !
जहाँ भूख से तड़पती न थी कोई रात ,
जहाँ ठंड से कंपकंपाती न थी कोई शाम ,
खिलौनों और चोकलेट की थी
वो रंग-बिरंगी दुनिया ,
‘सबा’ के सपनों की थी
वो मनचाही सजीली दुनिया !
लेकिन सपनों की दुनिया और हकीकत में
होते है फासले इतने ,
कि सपने रह जाते है सपने
और कभी न हो पाते अपने !
इसी तरह ‘सारा’ और ‘सबा’ की
ये सपनों की दुनिया ,
कुछ है मिलती जुलती ,
कुछ लगती है जुदा !
दोनों की आँखों में है कुछ सपने अधूरे ,
मायूस आँखों में है जैसे आंसुओं के धुंध घनेरे !
सच है किसी एक की ख्वाहिश दूसरे की हकीकत होती है ,
इसीलिए ये सपनों की दुनिया अधूरी होती है……. !
इसीलिए ये सपनों की दुनिया अधूरी होती है……. !
– सोनल पंवार
बहुत सुन्दर रचना, अंदाज़, अहसास और अभिव्यक्ति
जगे जगे जो लगे असंभव सपने अपने करते पूर्ति ….
Hearty commends for the beautiful poem
@Vishvnand,
आपकी यह सुंदर-सी टिप्पणी ,
करती मेरी कविता की क्षतिपूर्ति !
regards
sonal.
sundar.
@siddha Nath Singh, Thanks.
अच्छी रचना ……………..सोनल
सपनों की दुनिया के दो पहलू ,
एक ”सबा ” एक सारा है /
धाराये है और भी सपनों की ,
जिनका मिलन अधुरा है /
भिन्न भिन्न चाहते सब की ,
अलग अलग है ख्वाब /
जीवन के अनूत्तरित सवाल ,
दर दर पूछते अपने जवाब /
@Narayan Singh Chouhan, धन्यवाद् !
good one.
@sushil sarna, Thank u sir.
sundar sapna
loved the dream
@Rajdeep,
Sonal,
Very beautifully & sensitively depicted the contrast between the dreams of two antitheses-Sara & Saba.
If all dreams came true there would be nothing left to look forward to in life.
When reality denies us our wishes, dreams serve as an escape route to wish fulfilment.
Kusum
@kusumgokarn, Thank u so much for ur appreciation & beautiful comment.
@Rajdeep, Thanx.
More than awesome
Thanks a lot.