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“अरामिल”

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Hindi Poetry

“अरामिल” 

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करोड़ों की आबादी में कई लाख होंगे बदकिस्मती के मारे,
आफ़तजदा अरामिल जो ग़मी में बसर करते रहते बेचारे !
ताज़िंदगी उन्हैं अक्सर सताती ही रहती आसाईदनी यादें,
उनका ग़म हमेशा ग़म ही तो रहेगा चाहे जतादें या बतादें,
गिन गिन के उनके दिन दिन जो ग़रामत में ही गुज़रते,
हमबिस्तरी  के वक़्त किये हुए वादे सर से नहीं उतरते !
ऐसों की रंजीदगी में सुकून लाने की है एक ही तज्बीज़ – 
कि अरामिल आपसी मर्ज़ी से करलें इक-दूजे से तज़्बीज !
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मतालिब ———
(१) आफ़तजदा = विपत्ति के मारे; (२) अरामिल  =
विधुर लोग या विधवा औरतें (३) ताज़िंदगी = जीवन पर्यंत;
(४) आसाईदनी = सुखदायक; (५) ग़रामत = पश्चाताप;
(६) हमबिस्तरी = बिस्तर में साथ सोना; (७) रंजीदगी =
संताप; (८) तज्बीज़ = उपाय; (९) तज़्बीज = निकाह !
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6 Comments

  1. Siddha Nath Singh says:

    shabdkosh me achchha izaafaa karne vaali rachna.

  2. Vishvnand says:

    nayaa andaaz, prashansneey prayaas bahut man bhaaya
    sath me kayii naye aprachalit urdu shabdon kaa gyaan bhii aayaa
    dhanyvaad

  3. ABDUL HAMEED SBBJ says:

    SOLUTION IN THE END IS FANTASTIC

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