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नामसाधना अनुभूति ……!
Aug 2010 Contest, Hindi Poetry |
नामसाधना अनुभूति ……!
देर आया पर दुरुस्त आया,
प्रभुनाम मेरे मन में समाया,
नाम जपन से यारों मैंने,
जीवन मे है सतसुख पाया…..!
प्रभु की है सत्कृपा जो मेरा,
नाम जपन से प्यार हो गया,
भय चिंता सब भय से भागी
और जीवन में सुकून आया………!
जीना तो अब सरल हो गया,
हर दिन मन को भाने लागा
जितना मन में नाम भर लिया,
उतना ही दिन सुखकर पाया……!
नामसाधना की ये महिमा,
सहज सरल सब हो जाता है,
कभी न सोचा था इतना ,
यह जीना सुंदर हो जाता है……..!
अभी नए इक संकट में भी
भय चिंता ना छूने पायी
अनुभूति विश्वास प्यार की
नाम ने अपनेआप दिलायी …..!
नामसाधना कैसे करती
हर उलझन सुलझी क्यूँ लगती
साधक ये सच समझ न पाता
आती रहती पर अनुभूति ……!
” विश्वनंद”
naam sadhna kee saadh kaash sabke hriday me jag jaye to jag kuchh aur hi jag ban jaye.
@s.n.singh
मेरी रचना का उद्धेश्य और इशारा आपने सुन्दरता से स्पष्ट कर दिया …हार्दिक धन्यवाद .
WOW…………
Amazing
@Rajdeep
Thanks so very much for your lovely exclamation on the subject poem, delighting me immensely.
नाम की महिमा अपरम्पार है. नाम के अनुरूप व्यक्ति में गुणों का संचार होने लगता है.
@sudha goel
रचना पर आपकी अति सुन्दर टिप्पणी और पर्यवेक्षण के लिए स -ह्रदय आभार
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे !
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे !
श्रद्धा से ऐसा कोई भी जप करे
तो सुख से जिये, सुख से ही मरे !
दिनचर्या में, विशेषतः बुढापे में,
जप करते रहने से रहता आपे में !
कुछ भी होता नहिं व्यय जप करने में,
कभी न भूलो जप, स्वार्थसिद्धि करने में !
व्यर्थ की गप-शप तज के जप को अपनाओ,
पुनर्जन्म में ताकि कोई सुखद यौनी में जाओ !
@ashwini kumar goswami
सुन्दर
मन्त्र हैं अनेक गुरु मन्त्र सा इक को चुने
भक्ति भाव से उसे जपते रहें लिखते रहें
प्रभु कृपा से जीवन ये सत्कार्य से सुख से तरे
नाम में नयी नयी अनुभूतियाँ मिलती रहें