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ये क्या हो रहा है……
Hindi Poetry |
ये क्या हो रहा है……
न जाने क्यों,
कुछ अनचाहा सा हो रहा है,
लिखना कुछ और चाह रहा हूँ,
लिखा कुछ और जा रहा है,
उनकी वो तस्वीर,
जो पल भर में ही,
सजीव बन सामने आ जाती थी,
न जाने क्यों स्पष्ट नहीं हो पा रही,
जो पल भर में ही बातें करने लगते थे,
कोसों दूर रहकर भी,
न जाने क्यों बेगाने से हो गए हैं,
कोई तो बताये ये कैसी मुश्किल आ गयी,
कोई तो बताये ये क्या हो रहा है .
परेशान मत हो मेरे भाई !
किसी एंटीवाइरस का सहारा ले,
तेरे कंप्यूटर में वाइरस आ गया है.
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
Virus free hokar svaabhaavik lay aa jaao
fir srijan rath par ho savaar p4poetry par chaa jaao
ले लो मेरा बहाना न जब बस चले
जब कलम आ किसी लफ्ज़ पर फंस चले .
virus में भी रस तो छिपा ही हुआ,
वो ही घोलो न दूजा अगर रस चले.
कभी कभी अपने अन्दर स्वाभाविक है काव्य रस का कम होना
Why रस ये कम होता है बहुत मुश्किल है समझना
तब करते रहना होता काव्य देवी की आराधना और उन्हें मनाना
और अन्य की रचनाओं को बड़े शौक से पढ़ते रहना
अपने आप फिर संचारता है कविता देवी का खुश हो हमें वर देना
और शुरू हो जाता फिर से कल्पनाओं का उभरना और रचनाएँ रचना ……..
बड़ा सुन्दर अंदाज़ और बढ़िया रचना
हार्दिक बधाई
कभी कभी स्वाभाविक है अपने मन काव्य रस का कम होना
व्हाय( why ) रस ये कम होता है मुश्किल है समझना
पर तब करनी रहती कविता देवी से प्रार्थना और क्षमा की याचना
और अन्य की रचनाओं को जुनूँ और शौक से पढ़ते रहना
फिर जल्दी ही देवी होती प्रसन्न और सफल होती अपनी आराधना
और उभरने लगती काय रस में रचनाओं की कल्पना