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वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

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Hindi Poetry, Jan 2012 Contest


सन १९१९, दिन १३ अप्रैल का था ,

स्थान जलियांवाला बाग़, पंजाब था,

वो इतिहास की एक काली रात थी ,

हाँ !वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

 

आज यहाँ मासूमो पे चली थी गोलियाँ ,

बंदूक की पिचकारी से खेली खून की होलियाँ ,

यहाँ- वहाँ भागे थे जीने की आश् मे  ,

पर पल भर मे बदल गये थे वो लाश मे ,

जिंदगी आज हारी थी,बस मौत की ही बात थी ,

हाँ !वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

 

अम्बर पे उस रोज़ छाया घना अंधेरा था ,

परिवेश को करुणामयी चीखो ने घेरा था ,

अपनो को आँखो के सामने मरते देखा था ,

गिद्धो को अपनी ओर आने से रोका था ,

मानवता मर चुकी थी,बिछी दरिंदगी की बिसात थी ,

हाँ वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

 

राम के देश मे ये कैसा, नरसंघहार था ,

अंग्रज़ी हुकूमत का अहिंसा पे वार था ,

बाहर निकलने की हर कोशिश बेकार थी ,

धरती रक्त से सनी लग रही बेजार थी ,

मौत बना दूल्हा,वहाँ लाशों की बारात थी ,

हाँ वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

 

खून निकल रहा था,आँसू सूख गये थे ,

कुछ जो कुवे मे गिरे ,अब डूब गये थे ,

तिल- तिल कर मर गये वो देश भक्त थे ,

आज़ादी पाने के मगर इरादे सक्त थे ,

वो धरती माँ की गोद मे सोने की रात थी ,

हाँ !वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

 

डॉक्टर राजीव श्री वास्तवा

14 Comments

  1. Reetesh Sabr says:

    गहरी, संवेदनात्मक चेतना!

  2. shakeel says:

    डॉक्टर साहब
    बहुत बढ़िया लिखा आपने जैसे कोई तस्वीर सुना रही हो अपनी दास्तान ऐसा एहसास हुआ आपकी कविता पढ़कर.

  3. sonal says:

    तिल- तिल कर मर गये वो देश भक्त थे ,
    आज़ादी पाने के मगर इरादे सक्त थे ,
    वो धरती माँ की गोद मे सोने की रात थी ,
    हाँ !वो एक भयानक अंधेरी रात थी !

    Nice poem.

  4. Vishvnand says:

    Sundar rachanaa
    swatantrataa sangraam ke ik bahut hradaydraavii bhayaanak aahuti kee raatr par
    bahut prashansaneey prayaas. Manbhaayaa. abhinandan

    commends

  5. देश के क्रांतिकारियों को रचना के माध्यम से याद करने के लिए बधाई

  6. Sushil Joshi says:

    जलियाँवाला बाग हत्याकांड में हुए शहीदों को श्रद्धांजिली देती हुई इस संवेदनशील रचना के लिए बहुत बहुत बधाई राजीव जी….

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