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“ओट-कोट-खोट-गोट-घोट-चोट-नोट-पोट-लोट-वोट-होट”
Hindi Poetry |
“ओट-कोट-खोट-गोट-घोट-चोट-नोट-पोट-लोट-वोट-होट”
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वर्णक्रमानुसार उपरोक्त ११ शब्दों का है जो दल,
जिसका हर एक खिलाड़ी मचा सकता है हलचल !
ओट में रहकर ही आजकल छुपी रहती हर खोट,
कोट की ओट में भीतरी जेब में रखे जाते हैं नोट,
नोट है सेंटर फॉरवर्ड जो हर ओर खेलता मिलता,
वो ही ऐसी गोट है जिसके खेल से हर दिल हिलता !
वोट की राजनीति में भी प्रायः हावी ही रहता है नोट,
नोट बाँट कर वोट मिलें तो जनता को लगती है चोट !
प्रेमी-प्रेमिका को भी फैशन में खर्च करने पड़ते हैं नोट,
आकर्षक पहनावे के लिए भी वो गवां देते सैकड़ों नोट !
नोट की ओट में प्रेम दिखाके मिलाते होंट से होंट !
नशीले पेय पीकर बहकते-हंसते होते हैं लोट-पोट !
इन ११ खिलाडियों का कप्तान हर स्तर पर है नोट,
इसीलिए अब चलन में आते खोट से छपे हुए नोट !
खोट को भी घोट घोट कर पीना पड़ रहा है बेचोट,
मुश्किल से ही यदाकदा पकड़ में आजाती है खोट !
और पकड़े जाने पर भी छूटने के लिए चलते नोट !
नोट की माया अतुलनीय है जिसका है साम्राज्य,
नगण्य हैं लोग आज जो नोट को समझें त्याज्य !
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सही लगाई चोट
अनुभव और शब्दों के आप लगते हैं – स्त्रोत
ajeet
@ajeet,सहृदय आभार !
@ajeet,कृपया स्त्रोत शब्द को
सही करलें, ऐसा कोई शब्द नहीं है ! सम्यक शब्द हैं स्रोत, श्रोत व स्तोत्र !
कितनी खोट और चोट सह सह के बार बार उन्ही को वोट दिया
अब जो इनकी करतूत झूट खोट और नोट से पाते हैं वोट ये note कर लिया
जनता समझ गयी है अब इलेक्शन में जरूर होगा कुछ note worthy नया
अर्थपूर्ण मजेदार रचना
हार्दिक बधाई
@Vishvnand, सहृदय धन्यवाद !
in shbdon kee ot me pahunchi bheeshan chot
bade bade hai yodhrijan rahe zamee par lot,
aankhe firte hi karen jo bas loot khasot,
unke kintu viruddha hain band sabhi ke honth.
@Siddha Nath Singh,
Very good ! Thanks !