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” जीवन नदिया, मन है कश्ती “
Feb 2012 Contest, Hindi Poetry |
” जीवन नदिया, मन है कश्ती “
ये जीवन है क्या ?
एक बहती नदिया की धारा-सा !
कभी शांत तो कभी चंचल ,
कभी उजला तो कभी अनमिट अँधेरा-सा !
ये जीवन है क्या ?
एक बहती नदिया की धारा-सा !
जीवन की इस नदिया पर ,
तैरती मानव मन की ये कश्ती ,
कभी ख़ुशी की लहरों संग
इठलाती-मुस्कुराती हुई ,
शांति और सुकून से बहती ,
तो कभी दुःख की लहरों से
टकराती-डगमगाती हुई ,
निराशा के गर्त में डूबती ये कश्ती !
दिग्भ्रमित मानव मन की ये कश्ती ,
न दिशा का है कोई ज्ञान ,
अनजानी राहों से परेशान ,
मंज़िल तक न पहुँच पाने से हैरान !
फिर भी ईश्वर है वो दिव्य ज्योति ,
जो दिखाए सही राह हमें ,
इस कश्ती की पतवार है उनके हाथों में ,
वही तो है एक खेवैय्या ,
जो पार लगाए जीवन की नैय्या !
जीवन नदिया, मन है कश्ती ,
दोनों की डोर थामे है जो हस्ती ,
उन्हें कहते हैं हम ईश्वर ,
जिनमें हमारी दुनिया है बसती !
– सोनल पंवार
चित्र देख मनभाव का वर्णन
अति सुन्दर प्यारा मनभावन
पढ़कर हो जाए मन पावन
अति सुन्दर रचना के लिए
हार्दिक अभिवादन
@Vishvnand, Thank u so much sir for ur appreciation.
good poetry
@siddhanathsingh, Thanks.
अच्छा सोच
@rajendra sharma ‘vivek’, Thank u.
Hearty congratulations,Sonal, the winner.
@medhini, Thank u so much ma’am.
Congrats Sonal
Superb
@Rajdeep, Thanks a lot rajdeep ji.